बेरोजगार शास्त्री संघ ने किया प्रदेश सरकार से आग्रह
नालागढ़//ऋषभ शर्मा
शिक्षा विभाग में शास्त्री भर्ती की विज्ञप्ति जारी हो गई है और भर्ती के नियमों को बदल दिया गया है। शिक्षा विभाग और सरकार के द्वारा किया गया शास्त्रियों के साथ अन्याय है।ये बिल्कुल भी सही नहीं है।बेरोजगार शास्त्री संघ के प्रदेशाध्यक्ष श्री लेखराज एवम हजारों बेरोजगार शास्त्रियों ने मिलकर सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है की जिस तरह पूर्व में भर्तियां होती थी उसी तरह आगे भी भर्तियां होनी चाहिए। क्योंकि यदि शास्त्रों को यदि अन्य महविद्यालयों में पढ़ाया जाता तो प्रदेश सरकार को अलग से संस्कृत महाविद्यालय क्यों खोले जाते ।इस बात के उपर प्रश्न चिन्ह उठता है की एक विषय में पढ़ने वाले को कैसे योग्य मान लिया गया जो की हमें हमें बिल्कुल भी मान्य नहीं है । संघ ने मांग की है की को शास्त्री भर्ती की जा रही है वह पुरानी नियमों के तहत ही होनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रत्याभूत कोई ऐसा प्रशिक्षण केंद्र नहीं है जहां से शास्त्री बीएड कर सके ।विश्विद्यालय मैं भी शास्त्री की संस्कृत विषय में बीएड करने का कोई प्रावधान नहीं है तो शास्त्री की भर्ती में कैसे बीएड को लागू किया गया है। और नए नियम आगे के लिए लगता है ना की पीछे वालों को लगाया जाता है।और शास्त्रियों को यहीं से रोजगार का अवसर मिलता है जिससे भी वंचित किया जा रहा है।हालांकि कुछ संगठन सरकार से मिलकर नए नियमों के आधार पर ही भर्ती करने की मांग कर रहे है जो की निंदनीय है। ये क्योंकि ये सिर्फ स्वार्थ को देखता हुए सरकार को और शिक्षा विभाग को गुमराह कर रहे है।संघ का कहना है की शास्त्रीयों को को टीजीटी का दर्जा भी नहीं चाहिए । और भर्ती ओटी शास्त्री के तहत ही भर्ती करने की मांग को जायज मानते हुए पुराने नियमों से भर्ती की जाए।सरकार और शिक्षा विभाग से अनुरोध है कि जी शास्त्री की भर्ती की जा रही है वह पुराने नियमों के तहत ही हो जो की उच्चित और सर्व मान्य है जिससे की हमारे संस्कृत महाविद्यालय का सरंक्षण भी होगा और और शास्त्रों और वेद पुराणों का भी मर्यादा बनी रहेगी।और फिर भविष्य में कौन अपने बच्चों को शास्त्री की तरफ भेजेगा इस तरह से सभी संस्कृत महाविद्यालय बंद हो जाएंगे। एक तरफ सरकार संस्कृत को राज्य की द्वितीय भाषा का दर्जा दे रही है ।दूसरी तरफ संस्कृत और वेद पुराणों के साथ मजाक किया जा रहा है इस बात को ध्यान में रखते हुए विभाग और सरकार शास्त्री की भर्ती प्रक्रिया में पुराने नियमों के तहत भर्ती करें।संघ के सदस्यों में प्रदेशाध्यक्ष लेखराज और राजकुमार,छोटा राम,पवन राकेश,मदन शांडिल्य,श्रीरामानुज संस्कृत महाविद्यालय पंजगांई के
व्याकरणाचार्या प्रेमशर्मा,ज्योतिषाचार्य विक्रांतशर्मा ,यशपाल, सुनील,नरेशशर्मा, ललित,अमितलखन पाल, पंकज,पंकज गौतम,प्रदीप, प्रवीण शर्मा,
नर्वदा ,मोनिका,अंजली, यश पाल चंबा,अंजना ऊना ललित शर्मा,मदन ,कृष्णशर्मा मदन,नितेश,राजेश शर्मा,रोशनलाल, शीतल शर्मा सुनिलभरद्वाज, सुनील दत्त,सुरेंद्रगर्ग,अभिषेक शैल, सुरेश कुमार,विक्रम शांडिल्य,आचार्य विनोद शर्मा,अजय शर्मा, अमनगौतम,अनिल नड्डा,हेमंत नालागढ़,देवराजशर्मा,दिनेश ,गिरधारी,हेमप्रकाश,हितांशी शर्मा,कमलचंद,कमलेशशर्मा,कनिका,केशव शर्मा,कपिल शर्मा,कार्तिक, ओंकार शर्मा, कश्मीर चंद,पंकज कौशल,इत्यादि सैंकड़ों शास्त्रियों ने मिलकर सरकार से गुहार लगाई है