मैं शान्त हूं, कमजोर नहीं।
मैं हिमाचल हूं,मेरा कोई तोड़ नहीं।।
ऐ जो वक्त है, हर वक्त रहेगा नहीं ।
मुड़ न पाऊं अपने दौर की ओर,ऐसा कोई मोड़ नहीं।
मैं हिमाचल हूं मेरा कोई तोड़ नहीं।।
मेरे साहस की परीक्षाओं का दौर है, इसमें कोई किसी का जोर नहीं।
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मैं हिमाचल हूं मेरा कोई तोड़ नहीं।।
आसमान की बुलंदियों तक हौसलॏं की पहुंच मेरी, अभी ज्यादा शोर नहीं।
फिर से उठूंगा मैं, परिवर्तन ही तो है, कुछ भी घनघोर नहीं।
मैं हिमाचल हूं मेरा कोई तोड़ नहीं।।