Saturday, July 27, 2024
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स्टे आदेश के बावजूद जमीन से बेच डाले खैर के पेड़, मामला वन मंडल अधिकारी के पास पहुंचा 



राकेश राणा //बंगाणा


कुछ लोग माननीय हाईकोर्ट के आदेशों को भी ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आते हैं। कुछ ऐसा ही मामला यहां सामने आया है, जहां माननीय हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे के बावजूद जमीन से खैर के पेड़ बेचने का मामला सामने आया है। हैरानी की बात ये है कि संबंधित ठेकेदार द्वारा भी बिना कोई जांच किए खैर के पेड़ों की मार्किंग कर दी गई, लेकिन जब इस संदर्भ में माननीय हाईकोर्ट से स्टे लगाने वाले पीड़ित को पता चला तो वह भी अचंभित रह गए।  

बता दें कि शीला देवी पत्नी लक्ष्मी चंद गांव रौणखर डाकघर तलमेहडा तहसील बंगाणा जिला ऊना की गांव अमजाड़ डाकघर डोहगी तहसील बंगाणा जिला ऊना में जमीन है। जिसका केस माननीय हाईकोर्ट में जमीन के अन्य हिस्सेदार रोशनी देवी पत्नी रोशन लाल गांव अमजाड़ के साथ केस चल रहा है। इस केस के संदर्भ में माननीय हाईकोर्ट द्वारा  7 जनवरी 2013 एवं 23 जुलाई 2013 को स्टे आर्डर दे दिया। जिसके तहत किसी भी प्रकार का निर्माण एवं पेड़ों की कटाई इत्यादि नहीं की जा सकती है। रोशनी देवी ने उक्त जमीन में खड़े खैरों के पेड़ों को एक ठेकेदार को बेच दिया गया और न ही उन्होंने हाईकोर्ट के आदेशों की परवाह की। हैरानी इस बात की रही कि संबंधित ठेकेदार द्वारा कोई भी जांच किए बिना ही खैरों की मार्किंग भी कर दी। जैसे ही इस बात का पता शीला देवी को चला तो उन्होंने एक पत्र वनमंडल अधिकारी बंगाणा को लिखा, जिसमें उन्होंने कहा है कि  रोशनी देवी ने जिस जमीन से खैर बेचे हैं उस जमीन का विवाद है और जिसका केस हाईकोर्ट में चल रहा है तथा हाईकोर्ट द्वारा उक्त जमीन पर स्टे आर्डर जारी किया गया ।


उन्होंने अपील की है कि उक्त जमीन से खैरों की मार्किंग को काटा जाए तथा माननीय हाईकोर्ट के आदेशों की पालना को यकीनी बनाया जाए। 


शीला देवी उम्र लगभग 87साल का कहना है कि इस जमीन को लेकर हमारा तथा रोशनी देवी का मामला न्यायालय में चल रहा है जब तक कोर्ट का फैंसला नहीं आ जाता तब तक उस जमीन पर दुसरे फ्रीक कोई भी कोई भी काम या लेन देन न करें।


रोशनी देवी पत्नी रोशन लाल के परिवार सदस्यों से फोन 9817583790 पर संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

क्या कहते हैं वन मंडल अधिकारी?
इस संदर्भ में वन मंडल अधिकारी बंगाणा अंकुश से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला उनके ध्यान में आया है।  उक्त स्थान पर दो परिवारों का जमीनी  विवाद के चलते मामला हाईकोर्ट में बिचाराधीन होने पर संबंधित ठेकेदार को उस स्थान पर मार्किंग न करने के आदेश दे दिए हैं।

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