राष्ट्र सेविका समिति ने नालागढ़ में किया शस्त्र पूजन
नालागढ़ /ऋषभ शर्मा
भारत का इतिहास नारी की शौर्य गाथाओं से भरा पड़ा है चाहे वह रानी लक्ष्मी बाई हो, रानी पद्मावती हो या फिर हाड़ी रानी, इन सभी ने अपने राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया लेकिन मैकाले की शिक्षा पद्धति में हमे केवल हिंदू समाज को अपमानित करने वाली गाथाएं गढ़ कर पढ़ाई

जाती है। यह बात राष्ट्र सेविका समिति की विभाग धार्मिक प्रमुख पंकज वशिष्ठ ने नालागढ़ में समिति के विजय दशमी के उपलक्ष में आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि हमे पढ़ाया जाता है कि रानी कर्णावती ने हमायूं को अपनी रक्षा हेतु राखी भेजी थी जो कि मनघड़ंत है। उन्होंने राष्ट्र सेविका समिति के इतिहास के बारे में बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार ने जब संघ की स्थापना की थी तो इसमें सबसे बड़ा योगदान मातृ शक्ति का ही था क्योंकि वे ही अपने बच्चों को प्रेरित करके संघ की शाखा में भेजती थी जो आगे चल कर संघ के प्रचारक निकले। बाद में लक्ष्मी बाई केलकर को लगा कि महिलाओं में भी संघ जैसा संगठन होना चाहिए जो स्वतंत्र रूप से राष्ट्र कार्य कर सके। इसलिए उन्होंने डॉक्टर हेडगेवार की प्रेरणा से 25 अक्तूबर 1936 को विजय दशमी के दिन राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की थी और आज यह संगठन पूरे देश में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रेणु ने की। इस अवसर पर मुख्य वक्ता पंकज वशिष्ठ के अलावा जिला बौद्धिक प्रमुख रीता ठाकुर, नगर बौद्धिक प्रमुख सपना, निधि प्रमुख गीता, सेवा प्रमुख कंचन , इंदु ठाकुर, दीपिका शर्मा, स्वाति भरतिया, डॉक्टर आशिमा जैन सहित अन्य सेविकाएं भी उपस्थित थी।