राकेश राणा /बंगाणा
बड़े वेटे की मौत के बाद से बड़ी मुश्किल से सदमे से बाहर आए थे समर के दादा सोहनलाल तथा दादी सुदर्शना देवी,अब पोते की मौत से दोनों बुजुर्गों को लगा भारी सदमा,दादा सोहनलाल और दादी सुदर्शना बार बार समर के शव पर विलाप कर यही कह रहे थे कि भगवान हमें मौत क्यों नहीं आई,हमारे जाने का टाइम था।और तुम किसे ले गए।
ओम प्रकाश और उसकी पत्नी वेटे की मौत पर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।
समर की बड़ी बहन पलक जो हर दिन अपने छोटे भाई समर के बिना स्कूल नहीं जाती थी आज भी उसके बिना स्कूल नहीं गई।और जब से समर की मृत्यु की ख़बर पलक को मिली है बेचारी का रो रो बुरा हाल हो गया है।बार बार यही कह रही है कि अब मैं राखी किसको बाधुंगी,किसको स्कूल लेकर जाऊंगी,किससे अपने खिलौने सांझा करूंगी। किसके लिए चाकलेट लाऊंगी।और कौन मेरे साथ लड़ेगा। भगवान मेरे भाई को जिंदा कर दो न बार बार भगवान से प्रार्थना कर रही है। गांव रौनखर में सभी की आंखों से पानी रूकने का नाम नहीं ले रहा है।