राकेश राणा //बंगाणा
जिला ऊना उपमण्डल बंगाणा के थानाकला में भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम किया गया। जिसमें हिमाचल भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एबम पूर्ब में मन्त्री रहे बिंरेंद्र कँवर ने शिरकत करके श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने सम्बोधन में कहा कि भारत रत्न डॉ भीम राव अम्बेडर को जब हिमाचल में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी थी।
तो तत्काल मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल द्वारा हिमाचल प्रदेश के 68 विस क्षेत्रो में दस दस लाख की लागत से अंबेडकर भवन बनाये थे। कँवर ने कहा कि भारत के संविधान लिखने वाले डॉ भीमराव आंबेडकर एक बहुत बड़े अर्थशास्त्री, न्यायविद, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे। उन्होंने दलित जाति के लिए काफी काम किया। वे समाज से भेदभाव को खत्म करना चाहते थे।
कँवर ने कहा कि उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन के लिए लोगों को प्रेरित किया। और समाज में अछूतों को लेकर हो रहे भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने हमेशा श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकार के बारे में बात की। उनकी मृत्यु 06 दिसम्बर 1956 को हुई थी। इसलिए इस दिन अंबेडकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है। कँवर ने कहा कि विकिपीडिया के अनुसार भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनका परिवार आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबाडावे (मंडनगढ़ तालुका) शहर से मराठी पृष्ठभूमि का था। कँवर ने कहा कि अम्बेडकर का जन्म महार (दलित) जाति में हुआ था। जिनके साथ अछूत माना जाता था। और सामाजिक-आर्थिक भेदभाव किया जाता था। अम्बेडकर के पूर्वजों ने लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के लिए काम किया था। और उनके पिता महू छावनी में ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत थे।
पिता रामजी सकपाल 1894 में सेवानिवृत्त हुए । और दो साल बाद परिवार सतारा चला गया। कँवर ने कहा कि रामजी सकपाल परिवार के साथ मुंबई चले आये। ओर अप्रैल 1906 में, जब भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे। तो नौ साल की लड़की रमाबाई से उनकी शादी कराई गई थी। कँवर ने कहा कि तब वे पांचवी अंग्रेजी कक्षा पढ़ रहे थे। एक भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे। जिन्होंने संविधान सभा की बहसों से भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति का नेतृत्व किया, पहली कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्री के रूप में कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू ने हिंदू धर्म त्यागने के बाद दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया।
कँवर ने कहा कि देश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू जब आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे। तो उन्होंने अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में कानून मंत्री के रूप में शामिल किया। इसके बाद अंबेडकर ने भारत के लोगों के सामने मसौदा संविधान प्रस्तुत किया। जिसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया। अंबेडकर ने बौद्ध धर्म पर एक किताब ‘बुद्ध और उनका धर्म’ लिखी। हालांकि इस पुस्तक का प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद हुआ। बही कार्यक्रम में जिला पार्षद उपाध्यक्ष कृष्ण पाल शर्मा एबम अन्य गणमान्य लोगों ने भी अपने बिचार रखे। इस मौके पर जिला परिषद उपाध्यक्ष कृष्ण पाल शर्मा, कुटलैहड़ भाजपा मंडल अध्यक्ष चरणजीत शर्मा,बीडीसी अध्यक्ष देबराज शर्मा, महामंत्री मास्टर रमेश शर्मा, एससी मोर्चा प्रदेश सचिव सूरम सिंह, बाबा कमल , राजेश कुमार, जगदीश चंद,हर्षवर्धन, रौशनी देवी, प्रोमिला देवी, सालिग्राम, ज्योति प्रकाश, प्रीतम चंद, शेर सिंह, विनय कौंडल, गुरदास राम, हेमराज, राकेश, मीना कुमारी,नीलम,रवि, रणजीत सिंह, महिंद्र पाल, दुर्गा दास के अलाबा सैंकड़ो गणमान्य लोगों ने भाग लिया।