कभी राजा के हुक्म के बिना कुटलैहड़ के सरकारी जंगलों में नहीं हिलता था एक भी पत्ता,उस समय कत्था निकालने के लिए लगती थी भठियाँ,अब बॉयलर से निकलता है कत्था,
राकेश राणा,बंगाणा
कुटलैहड़ विस क्षेत्र में कभी राजा महिंद्र पाल सिंह कुटलैहड़ का राज था। और उनकी हुकूमत ऐसी चलती थी। कि जंगलों में उनके बिना पँच्छी भी पंख नहीं मार सकते थे। और कुटलैहड़ के जंगल हरे भरे हुआ करते थे। उस समय मलकीयत भूमि से खैर कटान जब होता था। तो सरकार की परमिशन पर खैर की लकड़ी से कत्था निकालने के लिए भठियाँ लगाई जाती थी। ओर जंगलो में चाहे खैर के पेड़ थे।
या फिर अन्य सभी सुरक्षित रहते थे। सन 1992 में ऐसा दौर आया। कि राजाओं के राज खत्म कर दिए गए। और राजाओं की सम्पति को सरकार ने टेक ओवर कर लिया। 1995 में मशीनरी का दौर आया। और खैर की लकड़ी से कत्था निकलने के लिए वॉयलर लगने शुरू हो गए। और फिर दौर चला अवैध कटान का। बीते 25 वर्षों से कुटलैहड़ विस क्षेत्र में अवैध कटान की तूती बोलने लगी है। और अव बह दौर नहीं कि 31 मार्च तक खैर कटान होगा।
अव तो हर वर्ष 365 दिन बन काटूये सक्रिय होकर अवैध कटान को अंजाम दे रहे है। क्योंकि जिला उना में कत्था निकालने बाले वॉयलर 24 घण्टे चलते है। और बन काटूये खैर के छोटे छोटे मोच्छे करके अपनी निजी गाडियो में भरकर वॉयलर तक पहुंचा देते है। अगर इस वर्ष में अवैध कटान की बात की जाए। तो इतिहास में सबसे अधिक इस चालू बर्ष में कुटलैहड़ में अवैध कटान हुआ है। हालांकि थाना बंगाणा में अवैध कटान के मामले भी दर्ज हुए है। लेकिन किसी व्यक्ति विशेष या फिर किसी ठेकेदार का कोई नाम नहीं है। बिडंबना यह है। कि ग्रामीण अवैध कटान की गुप्त सूचनाएं फारेस्ट विभाग को देता है। लेकिन फारेस्ट विभाग के अधिकारी बिना कार्यवाई किये बन काटूयो को छोड़ रहे है।
अगर कुटलैहड़ की रामगढ़ धार सोलह सिंगी धार सोहारी फारेस्ट सर्कल के सरकारी जंगलों को देखा जाए। या फिर सरकार अवैध कटान की जांच करवाएं। तो अरबो की सरकार की सम्पति अवैध कटान के रूप में भेंट चढ़ चुकी है। लेकिन कुटलैहड़ में अवैध कटान को लेकर सरकार गम्भीर नहीं है। कि किस प्रकार कुटलैहड़ में अवैध कटान को रोका जा सके।
जनता की आवाज़,बेहतर होता कि कुटलैहड़ में राजा का होता राज,बचे रहते जंगल,
कुटलैहड़ के कुछ बुद्धिजीवि लोगो इन कहना है। कि बेहतर होता अगर कुटलैहड़ में राजा का ही राज होता। कम से कम कुटलैहड़ के सरकारी जंगल तो बचे रहते।क्योंकि हालात ऐसे बन गए है। कि हर कोई करोड़ पति बनने के चक्र में फारेस्ट लाइसेंस बनाकर सरकारी जंगलों से मोटे मोटे खैर के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाता है। और फारेस्ट विभाग मूक दर्शक बनकर सरकार की सम्पति को लुटता हुआ देखता है। अगर ज्यादा शोर पड़े। तो फारेस्ट के कर्मचारी छुट्टी पर चले जाते है। और उक्त एरिया में अवैध कटान की तूती बोलती है।
कुटलैहड़ में हो रहे अवैध कटान की करवाएंगे बिजिलेस जांच : कँवर
पूर्ब मन्त्री बिंरेंद्र कँवर ने कहा कि इस वर्ष कुटलैहड़ बिस क्षेत्र में सरकारी जंगलो में जितना अवैध कटान हुआ है। यह इतिहास बन गया है। लेकिन फारेस्ट विभाग बन काटूयो पर क्यों कार्यवाई नहीं कर रहा है। और अवैध कटान के पीछे कौन ताकत है। यह सारा मामला शिकायत पत्र में लिखकर सीएम सुखविंदर सूक्खू को सौपेंगे। ओर हर हाल में कुटलैहड़ में हो रहे अवैध कटान की बिजिलेस जांच करवाएंगे। ताकि कुटलैहड़ के सरकारी जंगलों को बचाया जा सके।
वन काटूयो पर हो रही सख्त कार्यवाई : सुशील राणा
जिला बन पर्यवेशिक अधिकारी सुशील राणा का कहना है। कि अवैध कटान करने बालों पर कानूनी कार्यवाई की जा रही है। और जो भी बन काटूये पकड़े जा रहे है। उन पर प्राथमिकी दर्ज करवाई जा रही है। अवैध कटान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।