तीन उद्योगों पर भी मंडराए खतरे के बादल, तीस मीटर दूर बची है विश्व स्तरीय कंपनी लोरियल
50 लाख से बने झाड़माजरी शमशान घाट को निगल गई बालद नदी
बीबीएन (राकेश ठाकुर)
बीती रात से हो रही भारी बारिश के चलते बालद नदी के तांडव ने एक बार फिर तबाही मचा दी। क्षेत्र का सबसे बड़ा और सुंदर झाड़माजरी का शमशान घाट भी नदी की भेंट चढ़ गया। नदी के रौद्र रूप ने यहां साथ लगती मन्नत इंडस्ट्री का ऊपरी हिस्सा तो पहले ही गिर चुका था। अब मेन गेट से निशाना बनाना शुरू कर दिया। लोरियल कंपनी भी मात्र तीस पैंतीस मीटर की दूरी रह गई। बीबीएन का सबसे बढ़िया शमशान घाट जिसका नीव पत्थर 2008 में उधोगपति संजय शर्मा ने रखा था ओर 2011 जनवरी में यह शुरू कर दिया गया। लोरियल कंपनी ने यहां तीस लाख रुपया खर्च कर अनेकों सुविधाएं उपलब्ध करवाई। इतना शानदार कि साथ लगते उधोगों के कर्मचारी यहां पार्क में बैठकर भोजन का आनंद लेते थे। शानदार शौचालय और स्नानागार, बैठने के लिए शेड, हैंड पैंप, बिजली का ट्रांसफार्मर, अस्थियों के लिए लॉकर की सुविधा बैठने के लिए यहां पर दो शेड, लकड़ी गोदाम के साथ साथ हरा भरा ग्रीन पार्क और भगवान भोले नाथ की मूर्ति आदि अनेकों सुविधाएं यहां पर थी।बल्कि लोग दूर दूर से इस शमशान घाट में दाह संस्कार करने आते थे। पूर्व प्रधान गुरमीत सिंह, कुलदीप नेगी, त्रिलोकी नाथ गुप्ता, नवनीत ठाकुर, अरुण ठाकुर, खुशवंत, सुरेंद्र ठाकुर, निर्मल ठाकुर, दीवान चंद, राजेश कुमार, देवी राम, धर्मेंद्र ठाकुर,आदि अनेकों ग्रामीणों ने मिलजुल कर इस को अंजाम दिया।एक माह में तीस चालीस दाह संस्कार होते थे।
इस शमशान घाट के बहने की नीव तो उसी दिन रख हो गई थी जिस दिन लक्कड़ डीपू के पास बालद नदी का पुराना 1970 के दशक का पुल लोक निर्माण विभाग ने तोड़ा था। इस पुल से मात्र दो सौ मीटर की दुरी पर यह शमशान घाट है। पुल टूटते ही पानी का रुख नए पुल के मध्य में किया गया। उसके बाद यहां पर यह नदी इतनी गहरी होती गई पानी के तेज बहाव ने पहले राउंड में इस घाट के साथ की तीस मीटर भूमि और उधोग विभाग का एक बहुत बड़ा सिवरेज टैंक नदी ने निगल लिया। उसके बाद फिर तीन दिन पहले हुई बारिश इस घाट को छू गई थी। आज सुबह करीब चार बजे बाल्द का पानी इस घाट को ही निगल गया। यहां पर ऊपरी तरफ दो कमरे, शौचालय, क्रिमिनेशन शेड, पार्क बैठने की जगह, एक सेप्टिक टैंक, खड़े पौधे, फूल, चारदीवारी आदि देखते ही देखते आंखो के सामने नदी में बह गए। यहां पर एक सिंचाई विभाग का पूर्व मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर द्वारा लगाया गया उद्घाटन पट्टिका के साथ साथ बिजली विभाग के खंबे भी पानी में बह गए। इसे बहता देख गाववासियो के आसू निकल पढ़े। गांव वासी लोक निर्माण विभाग को जाम कर कोस रहे थे। गुरमीत सिंह, कुलदीप नेगी, अरुण ठाकुर का आरोप है कि अगर विभाग ने पुराना पुल को तोड़ा न होता तो शायद लाखों की लागत से बना यह शमशान घाट बच गया होता। पुराने पुल के चलते नदी का ऊपरी हिस्सा पिछले पचास सालों से बचा हुआ था।
अस्थियां लेने सुबह शमशान पहुंचे देखा घाट गायब
इस शमशान घाट में बीती सायं चौदह वर्षीय एक लड़की का दाह संस्कार किया गया था और आज सुबह उसके परिजन जब घाट में अस्थियां को एकत्रित करने पहुंचे तो शमशान घाट वहां पर से उन्हें गायब मिला। यहां निकट वर्ती बस स्टैंड झाड़ माजरी में होशियारपुर पंजाब निवासी राजिंद्र कुमार की बेटी बीमारी से देहांत हो गया था। बीती शाम बच्ची का संस्कार किया गया ओर सुबह जब परिजन अस्थियां एकत्रित करने पहुंचे तो न श्मशान घाट था न अस्थियां ओर यह तबाही देख परिजनों का कलेजा फट गया।
उद्योगों ओर स्थानीय लोगो के सहयोग से बनवाया था यह सुंदर घाट
झाड़माजरी का यह शमशान घाट जिसमे विश्व सतरीय कंपनी लोरियल ने 30 लाख से अधिक धन खर्च किया। इसके अलावा कई अन्य उधोगों ने भी इसमें सहायता की। ग्रामीणों ने इस में अहम भूमिका निभाई। पूर्व प्रधान गुरमीत सिंह ने बताया की तीन दिन पहले बीबीएनडीए के सीईओ ललित जैन से नदी का रुख दूसरी तरफ को बदलने को लेकर मिले थे, लेकिन विधाता को शायद यही मंजूर था। वर्तमान में बीबीएनडीए के सीईओ ललित जैन इससे पहले 2014 में यहां पर सीईओ थे इसके निर्माण में उनकी भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही।