राकेश राणा //बंगाणा
उपमंडल बंगाणा की ग्राम पंचायत जसाना के गांव लखरूंह की सोलहसिंगी धार के मध्य एक पत्थर की शिला पर तेंदुए के बैठे होने के समाचार से गांव में दहशत का माहौल बन गया है। क्योंकि जिस पत्थर की शिला पर तेंदुआ बैठा है। वहा से कुछ ही मीटर की दूरी पर लखरुंह गांव है। और दर्जनों घरों में परिवारों के साथ पालतू पशु भी हैं। वही गांव वासी भी पशुओं के लिए हरे चारे को लेने के लिए उक्त स्थान धार सोलह सिंगी जाते है।
अब तेंदुए के डर से लोग सहमे हुए है। बताते चले कि धार के निचले स्थल पर एक बढ़ी पत्थर की शिला है। और इस पत्थर की शिला के साथ बाबा बालक नाथ मंदिर भी है। जहा पर गांव के महात्मा बाबा तरसेम सिंह ने कई वर्षो तक तपस्या की थी। और बहुत प्रसिद्ध मंदिर के रूप में उक्त पत्थर की शिला पर कभी मोर नाचते थे। इस लिए उक्त पत्थर की शिला मोरनढ़ के रूप में पहचानते हैं। और इस शिला के साथ कुछ मीटर नीचे फॉरेस्ट विभाग द्वारा किसानों के पशुओं के हरे चारे के लिए बगीचा भी लगाया है।
ताकि गांव वासियों को हरे चारे के लिए ज्यादा जंगल में न भटकना पढ़े। लेकिन अब उक्त जगह पर तेंदुए के दर्शन होने पर गांव वासियों में दहशत का माहौल बन गया है। बताते चले कि उक्त जंगल में पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं है। और पूरा जंगल झाड़ियों से भरा हुआ है। और अगर फॉरेस्ट विभाग चाहे भी तो भी उक्त तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा नहीं लगा सकता है। क्योंकि जंगल में झाड़ियां ही इतनी है। कि कोई व्यक्ति आसानी से जंगल में नहीं जा सकता है।
ज्ञात रहे तीन दिन पूर्व दिन के तीन बजे उक्त गांव के साथ लगते अरलू खास में 14 वर्षीय किशोरी पर तेंदुए ने धावा बोल दिया था। अगर उस समय गाड़ी चालक नहीं आता। तो किशोरी तेंदुए का ग्रास बन जाती। अभी तक उन डर से जनता उठी नहीं थी। कि शनिवार को एक बड़े तेंदुए के दर्शन गांव के साथ लगते एक पत्थर की शिला पर हो गए है। और जिन लोगो ने तेंदुए को देखा है। उनका कहना है। कि उक्त शिला पर तेंदुआ आराम से धूप सेकने का आनंद ले रहा था। उन्होंने फॉरेस्ट विभाग से मांग की है। कि उक्त तेंदुए को पकड़ने के लिए कोई प्रावधान करें। ताकि उक्त गांव की जनता का डर खत्म हो।