सरकाघाट में किसानों के समर्थन में मौन धरना
भूपेंद्र सिंह ने कहा मोदी सरकार जबरदस्ती कुचलना चाहती हैकिसान आंदोलन को
(सरकाघाट)रंजना ठाकुर
हिमाचल किसान सभा मज़दूर संगठन सीटू व अन्य छात्र, युवा व महिला संगठनों ने सयुंक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर आज महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर सरकाघाट में मौन धरना दिया गया। जिसके तहत दिल्ली व देश के सभी राज्यों में किसानों के हितों के ख़िलाफ़ पारित कृषि बिलों को वापिस लेने के लिए जारी आंदोलन का समर्थन किया गया और पिछले चार दिनों से किसानों के ख़िलाफ़ एक सोची समझी साजिश के तहत किये जा रहे दुष्प्रचार और हमलों की निंदा की गई।
सरकाघाट ओल्ड बस स्टैंड पर आयोजित मौन प्रदर्शन का नेतृत्व मज़दूर संगठन सीटू के ज़िला अध्यक्ष व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह के अलावा हिमाचल किसान सभा के रणतांज राणा, बाला राम, दिनेश काकू, सुरेश शर्मा, सुरेश राठौर, मॉन सिंह,राजीव कुमार, दिनेश ठाकुर, प्रकाश वर्मा,सन्तोष कुमार, सूरत सकलानी, रूप चन्द इत्यादि ने किया।
इस अवसर पर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि देश भर में करोड़ों किसान पिछले सात महीनों से सरकार द्धारा पारित काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं और शांतिपूर्ण तरीके से दो महीनों से दिल्ली के चारों ओर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार इन काले कानूनों को वापिस नहीं ले रही है।जिसके कारण 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली व देश के अन्य हिस्सों में शांतिपूर्ण तरीके से हज़ारों ट्रैक्टरों पर राष्ट्रीय ध्वज लगा कर ट्रैक्टर परेड निकाली थी। लेक़िन इस परेड को बदनाम करने और उसके बहाने इस आंदोलन को कमज़ोर करने की साज़िश के तहत भाजपा व आर एस एस से जुड़े दीप संधू और सतनाम सिंह पन्नू के नेतृत्व में लाल किले पर ख़ालसा पंथ का झंडा फहराने की घटना को अंजाम दिया गया और इल्ज़ाम किसानों के सिर मढ़ने की साज़िश रची गई।
इस घटना को एक योजना के तहत आयोजित किया गया जिसमें पुलिस प्रशासन की भी मिलीभगत थी और गोदी मीडिया द्धारा इस घटना को किसानों के साथ जोड़ने का दुष्प्रचार किया गया जबकि सयुंक्त किसान मोर्चा के नेता इस घटना की निंदा करते रहे और झंडा फहराने वालों के ख़िलाफ़ कार्यवाई की भी मांग कर रहे हैं।लेकिन इस घटना की आड़ में अब दिल्ली के बार्डरों पर चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन पर भाजपा व आर एस एस के लोग पुलिस के साथ मिलकर हमले कर रहे हैं।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ये वही ताकतें हैं जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की थी और आज वही तत्व किसानों पर पथराव कर रहे हैं और हिंसा फैला रहे हैं।लेकिन इनकी ओछी हरक़तों व साजिशों के बाबजूद किसान आंदोलन लगातार बढ़ रहा है और इनकी सारी हरकतें और साजिशें फ़ेल हो रही है।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल किसान सभा व मज़दूर संगठन सीटू तथा छात्र,युवा, महिला, वकीलों व बुद्धिजीवियों के संग़ठन भी देशभर में किसानों के साथ खड़े हो गए हैं और जब तक सरकार इन काले कृषि कानूनों को वापिस नहीं लेती है तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा और आने वाले समय में औऱ तेज़ होगा।उन्होनें कहा कि कि आज़ादी के बाद किसानों का ये सबसे बड़ा आंदोलन है जिसमें कोई राजनैतिक दल नेतृत्व नहीँ कर रहा है बल्कि किसानों के नेता और चार सौ से ज़्यादा संगठन एक साथ मिलकर सँघर्ष कर रहे हैं जो अपने आप में दुनियाभर में मिसाल पेश कर रहे हैं।
इस पूरे आंदोलन में कहीं पर भी किसानों की ओर से हिंसा या तोड़ फोड़ नहीं हुई जबकि आज़ाद भारत में भाजपा की सरकार ने पहली बार ऐसा किया गया कि किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए सड़के काट दी जैसे कोई देश विरोधी गतिविधियों रोकने के लिए करता है और अब किसानों पर सताधारी भाजपा द्धारा अपने कार्यकर्ताओं से किसानों पर हमले करवाये जा रहे हैं जो बहुत ही निंदनीय और अलोकतांत्रिक कार्य है।
इसलिये अगर सरकार जल्दी इन कानूनों को वापिस नहीं लेती है और किसानों पर किये जा रहे हमलो को नहीं रोकती है तो फ़िर ये आंदोलन और भड़केगा।जिसके चलते धर्मपुर तथा गोपालपुर खंडों के किसान भी सड़कों पर उतर कर सरकार का विरोध करेंगे।