सामान्य वर्ग के साथ होता आ रहा है ना इन्साफ़ : आर पी जोशी
स्वतंत्र हिमाचल

भारत वर्ष के आज़ादी के साथ ही अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजाति के लिए 33% की आरक्षण की सुविधा प्रदान कर दी गई थी ।जो अगले दस वर्षों तक थी । परन्तु राजनीति के खिलाड़ीयो ने दस वर्षों के बाद भी ,आरक्षण को यथो स्थित मैं ही नहीं रखा ,अपितु इसमें और उपशमन कर दिये गये ,व इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों भी इस में शामिल कर लिया गया ।व सामान्य वर्ग के लोगों (ब्राह्मण,क्षेत्रिय,बनिया (बैशय) पंजाबी खत्री,राजपूत ,कवर जाट मुख्य रूप से सामान्य जातीया है)को उत्पीडन करने के लिए क़ानून बना दिया गया। (छुआ-छूत अधिनियम)ताकि सामान्य वर्ग के लोगों यदि अनुसूचित जातियों के लोगों को कुछ कहे तो , जाती सूचक शब्द के तहत उन के ख़िलाफ़ अभियोग पंजीकृत किया जा सके ।
सरकार जहां पर सामान्य वर्ग के लोग राजनीति में है ,ने सामान्य वर्ग के लोगों को और अधिक उत्पीडन करने के लिए Atrocities act बनाया ताकि अधिक उत्पीडन पहुँचाया जा सके ,व ज़मानत भी सत्र न्यायाधीश की अदालत में मिलतीं हैं ।व आहिस्ता आहिस्ता सामान्य वर्ग के लोगों के मौलिक अधिकारों को ख़त्म कर दिया गया ।इन की सुरक्षा के लिए सामान्य वर्ग के लोगों के खिलाफ अनुसूचित आयोग,पिछड़ा आयोग,अल्पसंख्यक आयोग,अनुसूचित महिला आयोग व मानवाधिकार आयोग गठित कर दिये गये ।और इन लोगों को शिक्षा ,स्वास्थ्य सरकारी नौकरियों में इनका प्रतिशत बढ़ता ही गया व सामान्य वर्ग के बच्चे शिक्षित होते हुए भी घरों तक सीमित कर दिये गये है ।अनुसूचित जाति अनुसूचित जातियों व अल्पसंख्यकों के बच्चों का 40 प्रतिशत पर सरकारी नौकरियाँ व सामान्य वर्ग के बच्चों के लिए 85% पर भी नौकरियाँ नहीं ।व स्वर्णों के बच्चों के पास इतने पैसे भी नहीं है के वे अपना कारोबार कर सकें ।बैंकों में भी समस्त स्कीमें अनुसूचित जाति अनुसूचित जातियों व अल्पसंख्यकों के लिए ही आतीं हैं ।
यही नहीं कृषि के लिए बीज व अन्य सामान पर भी इन्हीं लोगों को सब्सिडी ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां इन को सब्सिडी न हो ।स्वर्ण राजनीतिज्ञों द्वारा स्वर्णों का सरेआम उत्पीडन किया जा रहा है ।परन्तु कोई भी सामान्य वर्ग के लोग इसके ख़िलाफ़ आवाज़ तक नहीं उठा रहे हैं ।यदि समय रहते आरक्षण जैसे कैंसर रूपी बीमारी को ख़त्म नहीं किया गया तो स्वर्णों के बच्चों के पास तीन ही विकल्प बचेंगे आत्म हत्या ,भीख माँगना या अपराध की दुनिया में प्रवेश ।यदि हम आज नहीं जागे तो हम अपने झूठे अहंकार के कारण अपने बच्चों का भविष्य ख़त्म कर देंगे जिसके लिए हम स्वयं ज़िम्मेदार होंगे ।
( पीर पर्वत सी पिघलनीं चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनीं चाहिए,
आज यह दिवारें पर्दों की तरह हिलनीं चाहिए
शर्त थी के ,ये बुनियाद हिलनीं चाहिए ,
हर सड़क पर,हर गली में,हर नगर में,हर गाँव में,हाथ लहराते हुए……स्वर्ण आयोग के गठन की माँग उठनी चाहिए ।।