Sunday, April 28, 2024
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तलमेहड़ा की बेटी को खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मिला राज्य स्तरीय हिम गौरव नारी शक्ति सरोकार अवार्ड

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हिमालया जनकल्याण समिति बद्दी ने किया सम्मानित

वार्षिक परीक्षाओं के चलते सम्मान समारोह में नहीं पहुंची मानसी राणा, पिता ने हासिल किया पुरस्कार


बंगाणा//राकेश राणा

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हिमालया जनकल्याण समिति बद्दी, जिला सोलन ने राज्य स्तरीय ‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम आयोजित किया।


‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की प्रोफेसर बिंदू शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। जबकि हिमालया जनकल्याण समिति के चेयरमैन सतीश सिंघल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

कार्यक्रम में मुख्यातिथि ने अपने संबोधन में कहा कि आज सबसे ज्यादा महिला सशक्तिकरण की बातें होंगी। लेकिन महिला सशक्तीकरण क्या है यह कोई नहीं जानता। महिला सशक्तिकरण एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है। हमने अति महत्वाकांक्षा को सशक्तिकरण मान लिया है।

मुझे लगता है महिला दिवस का औचित्य तब तक प्रमाणित नहीं होता, जब तक कि सच्चे अर्थों में महिलाओं की दशा नहीं सुधरती। महिला नीति है लेकिन क्या उसका क्रियान्वयन गंभीरता से हो रहा है। यह देखा जाना चाहिए कि क्या उन्हें उनके अधिकार प्राप्त हो रहे हैं। वास्तविक सशक्तिकरण तो तभी होगा जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी और उनमें कुछ करने का आत्मविश्वास जागेगा।
मुख्यातिथि ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि महिला दिवस का आयोजन सिर्फ रस्म अदायगी भर नहीं रह जाए। वैसे यह शुभ संकेत है कि महिलाओं में अधिकारों के प्रति समझ विकसित हुई है। अपनी शक्ति को स्वयं समझकर, जागृति आने से ही महिला घरेलू अत्याचारों से निजात पा सकती है। कामकाजी महिलाएं अपने उत्पीड़न से छुटकारा पा सकती हैं तभी महिला दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी।
मनु स्मृति में स्पष्ट उल्लेख है कि जहां स्त्रियों का सम्मान होता है वहां देवता रमण करते हैं। फिर भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वर्तमान में यदि खुले मन से आकलन करें तो पाते हैं कि महिलाओं को मिले सम्मान के उपरांत भी ये दो भागों में विभक्त हैं। एक तरफ एकदम से दबी, कुचली, अशिक्षित और पिछड़ी महिलाएं हैं तो दूसरी तरफ प्रगति पथ पर अग्रसर महिलाएं। कई मामलों में तो पुरुषों से भी आगे नई ऊंचाईयां छूती महिलाएं हैं। जहां एक तरफ महिलाओं के शोषण, कुपोषण और कष्टप्रद जीवन के लिए पुरुष प्रधान समाज को जिम्मेदार ठहराया जाता है, वहीं यह भी कटु सत्य है कि महिलाएं भी महिलाओं के पिछड़ने के लिए जिम्मेदार हैं। यह भी सच है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों ने ही स्त्री शक्ति को अधिक सहज होकर स्वीकार किया है, न सिर्फ स्वीकार किया अपितु उचित सम्मान भी दिया, उसे देवी माना और देवी तुल्य मान रहा है, जिसकी कि वह वास्तविक हकदार भी है। सकारात्मक दृष्टि से देखें तो हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ी हैं फिर भी अभी महिला उत्थान के लिए काफी कुछ किया जाना शेष है।
मुख्यातिथि महोदया ने कहा कि घर के चौके-चूल्हे से बाहर, व्यवसाय हो, साहित्य जगत हो, प्रशासनिक सेवा हो, विदेश सेवा हो, पुलिस विभाग हो या हवाई सेवा हो या फिर खेल का मैदान हो, महिलाओं ने सफलता का परचम हर जगह लहराया है। यहां तक कि महिलाएं कई राष्ट्रों की राष्ट्राध्यक्ष भी रही हैं और कुछ तो वर्तमान में भी हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की यह सफलता निश्चित ही संतोष प्रदान करती है। ऐसे में यह भी आवश्यक है कि सुदृढ़ समाज और राष्ट्र के हित में महिला और पुरुष के मध्य प्रतिद्वंद्विता स्थापित ना किए जाएं, बल्कि सहयोगात्मक संबंध बढ़ाए जाएं। शिक्षित एवं संपन्न महिलाओं को चाहिए कि वे पिछड़ी महिलाओं के लिए जो भी कर सकती हैं करें। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की दशा सुधारने पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है क्योंकि महिलाओं की समस्याएं महिलाएं ही भलीभांति समझती हैं इसलिए शिक्षित एवं संपन्न महिलाएं इस दिशा में विशेष योगदान दे सकती हैं। निश्चित ही इस संदर्भ में पुरुषों को भी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा।
मुख्यातिथि महोदया ने कहा कि देखा जाए तो पुरुष स्वयं भी कई समस्याओं से ग्रस्त हैं, खासकर बेरोजगारी की समस्या से। और इसीलिए महिला-पुरुष एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं होते हुए परस्पर सहयोग की भावना से बराबरी से आगे बढ़ सकते हैं। तभी सामाजिक ढांचा और राष्ट्र भी सुदृढ़ बनेगा। अत्याचार करने वाले किसी भी पुरुष के कारण संपूर्ण पुरुष जमात को दोष देने की होड़ से भी बचना हितकर रहेगा क्योंकि अत्याचार, व्यभिचार, दुराचार करने वाला सिर्फ अत्याचारी है, अपराधी है और उसे उसकी सजा मिलना चाहिए। महिलाओं को समान अधिकार। समान अवसर और ससम्मान स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार है। इसमें किसी संदेह की गुंजाइश भी नहीं है।
राज्य स्तरीय ‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम की अध्यक्षता बिरला टैक्सटाइल के उपाध्यक्ष आरके शर्मा ने की।
इस दौरान दून विधानसभा क्षेत्र की पहाडी नेता मंजू शर्मा के अलावा विभिन्न विभागों और जिलों से आईं महिलाओं और बेटियों ने भी अपने- अपने विचार प्रस्तुत किए। राज्य स्तरीय ‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम में मुख्यातिथि ने हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग जिलों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं व बेटियों को सम्मानित किया।
इस मौके पर जिला ऊना उपमंडल बंगाणा क्षेत्र की बेटी मानसी राणा का भी चयन किया गया था, लेकिन वार्षिक परीक्षाओं के चलते वह कार्यक्रम में नहीं जा पाई। दसवीं कक्षा की परीक्षा दे रही मानसी राणा की जगह उनके पिता राकेश राणा ने कार्यक्रम में पहुंचकर अपनी बेटी का राज्य स्तरीय हिम गौरव नारी शक्ति सरोकार अवार्ड प्राप्त किया। वैसे तो हिमालया जनकल्याण समिति ने मानसी राणा का चयन उत्कृष्ट खिलाड़ी के रूप में किया था, पर हम आपको बता दें कि मानसी राणा वर्तमान में हिमाचल प्रदेश थ्रोबाॅल की कप्तान के साथ- साथ भारत स्काउट एंड गाइड की हिमाचल प्रदेश की श्रेष्ठ गाइड भी है। वह राष्ट्रीय स्तर पर कई शिविरों में हिस्सा ले चुकी है। पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मानसी राणा को राज्य पुरस्कार देकर सम्मानित किया था। इसके अलावा मानसी राणा समाजसेवी कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रहती हैं। इस मौके पर हिमालया जनकल्याण समिति के चेयरमैन सतीश सिंघल, अध्यक्ष रणेश राणा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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