आवश्यक है जीवनशैली में परिवर्तन, सावधानियां ,टीकाकरण
(बीबीएन)अजय रत्तन
मनुष्य सबसे विकसित प्राणी है। इसकी बुद्धिमत्ता सर्वोत्तम है। प्रत्येक चीज को विवेक सी सोच उस पर विचार कर अनुसरण करने की शक्ति मनुष्य में ही है। विडंबना है कि आज ऐसा प्रतीत होता है कि मानो विवेकशीलता बुद्धिमत्ता क्षीण हो चुकी है। हम सन 2020 को भूलने की बातें कर रहे थे। जबकि ऐसा लग रह है हम 2021 में पुनः उसी स्थिति में ,बल्कि अधिक व्यग्र स्थिति की ओर अग्रसर हैं। विज्ञान द्वारा कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कदम रहा है ।
लोग वैक्सीन लगाने से भी झिझक रहे हैं। अधिकतर चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियो , कोरोना के अग्रिम पंक्ति के कार्यर्कता अपना टीकाकरण करवा चुके हैं। सरकार द्वारा हर क्षेत्र खोला गया जो आवश्यक भी था।साथ- साथ सरकार द्वारा व स्वास्थ्य विभाग द्वारा बार-बार कोरोना महामारी के लिए सावधानियों के प्रति जागरूक किया गया। लोगों से इन्हें सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया। जैसे-जैसे संक्रमण कम हुआ और कई स्थानों पर लगातार कई दिनों तक कोई संक्रमित व्यक्ति नहीं आया तो लोग बीमारी के प्रति लापरवाह हो गए। लोग पूर्ण रूप से अपनी पुरानी जीवन शैली में लौट आए। मास्क पहनना छोड़ दिया। समूह में लोग एकत्रित होने लगे। शादियों , त्योहारों, उत्सव , आयोजनों,बाजारों में बिना किसी सावधानी के लोग भीड़ में इकट्ठे होने लगे ।
बार- बार माहामारी की दूसरी लहर के विषय में सावधान किया गया। क्योंकी आशंका विकृत विषाणु के कारण संक्रमण की तीव्रता और व्यग्रता अधिक होने की आशंका जताई गई। यह बात आज तेजी से दिन- प्रतिदिन बढ़ रहे संक्रमित लोगों की संख्या से सत्य सिद्ध हो रही है।अब बीमारी से बचाव के लिए लोग टीकाकरण के लिए अस्पतालों में आ रहे हैं। टीकाकरण मैं तेजी देखी जा रही है ।अधिकतर 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में टीकाकरण के प्रति उत्साह देखने को मिल रहा है। यह माहामारी हमें पुनः सचेत करने का प्रयास कर रही है।हमें अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना अत्यंत आवश्यक है।
अनावश्यक घर से बाहर ना निकलें। जब भी घर से बाहर निकलें मास्क पहन कर ही निकलें। मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक को ढका होना चाहिए। आपस में दूरी कम से कम 2 गज बनाए रखेंं। जब भी किसी सतह अथवा चीज को छूऐं तो हाथ साबुन से 20 सेकंड तक अच्छी तरह धोएं या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें । लोगों का अभिवादन हाथ जोड़ नमस्कार द्वारा करें। हम पूर्ण रूप से सावधानियों का पालन करते हुए तथा टीकाकरण में पूर्ण सहयोग देकर अभी भी समय रहते इस महामारी को विकराल रूप लेने से पहले रोक सकते हैं । अन्यथा हम अपने सगे- संबंधियों, मित्रों की अनावश्यक मोतों को नहीं रोक पायेंगे।