टिहरा-कमलाह रूट पर 15 दिनों में बस सेवा जल्द शुरू ना हुई तो होगा आंदोलन : भूपेंद्र
कमलाह में तीन साल से खाली आर्युवैदिक डॉक्टर के पद को भी जल्द भरने की भी उठायी मांग

(सरकाघाट )रंजना ठाकुर
धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत कमलाह के लिए गत साल 24 जनवरी को जलशक्ति मन्त्री के जन्मदिवस पर कमलाह टिहरा सड़क का लोकार्पण व बस सेवा की शुरुआत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की थी लेकिन इस रूट पर कुछ दिन तक ही बस चली और उसके बाद आज तक बस सेवा जनता को नहीं मिल रही है।
आनन फानन में इसका लोकार्पण करवाने और जनता को बस सुविधा आज तक भी उपलब्ध न होना बहुत ही निन्दनीय और जनता को धोखा देने का कार्य है जिसमें जलशक्ति मन्त्री और मुख्यमंत्री शामिल हैं। ये बात इस क्षेत्र के पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कही और सरकार से मांग की है कि इस सड़क पर जल्दी बस सेवा शुरू की जाए अन्यथा इस मांग के लिए धर्मपुर में धरना प्रदर्शन करेंगे।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ये बड़े खेद का विषय है एक तरफ़ इस सड़क के बनने में यहां के विधायक व मन्त्री ने 35 वर्ष लगा दिये और गत वर्ष अपने जन्मदिन पर इसे जनता को तोहफ़े के रूप में जनता को लोकार्पित करवाया था लेकिन उसके बाद वे भूल गए कि इस सड़क पर कुछ दिन ही बस सेवा जनता को उपलब्ध हुई और पिछले दस माह से इस रूट पर कोई बस नहीँ चल रही है।लेकिन एक साल बाद मन्त्री ने अपना 71वां जन्मदिन भी मना लिया लेक़िन इस सड़क पर बस सेवा के बारे अब वे भूल गए हैं।
भूपेंद्र सिंह ने चेतावनी दी है कि अगले15 दिनों में इस रूट पर बस नहीँ चलाई गई तो ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसके लिए आंदोलन करेंगे।भूपेंद्र सिंह ने ये भी कहा कि इस सड़क की ग्रेडिंग का कार्य अभी भी चल रहा है और चोई नाले पर अभी तक पुलिया भी नहीं बनी है तो फ़िर इसका लोकार्पण एक साल पहले करवाना जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम था।इसके अलावा कमलाह पँचायत जो अति दुर्गम पँचायत है वहां पिछले 3 साल से डॉक्टर नहीं है जिससे इस क्षेत्र की जनता को कोई स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो रही है।
वहीँ दूसरी तरफ यहाँ पर पशु औषधालय की भी सुविधा नहीं है।स्कूल में अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं। बरेहल के लिए बस सेवा बन्द है और संधोल-कमलाह बस को भी बरेहल तक चलाने की जनता की मांग है लेकिन इस बारे कोई सुनवाई नहीं हो रही है।इस प्रकार इस क्षेत्र की मांगों को पूरा करने में सरकार व मन्त्री उदासीन हैं और यहां के लोगों को केवल मात्र वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल करते रहे हैं जबकि ये पँचायत मन्त्री के घर से सात किलोमीटर की दूरी पर ही है।