Hydel Project : हिमाचल के हाइडल प्रोजेक्ट बुला सकते हैं उत्तराखंड जैसी त्रासदी
शुक्ला कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने की जरूरत; कई परियोजनाएं तुरंत बंद करने की जरूरत, चिनाब बेसिन सबसे ज्यादा संवेदनशील
स्वतंत्र हिमाचल
(कुल्लू)सुरेश भारद्वाज
हिमाचल की मुख्य नदियों पर लगने वाले बड़े-बड़े हाइडल प्रोजेक्ट उत्तराखंड जैसी त्रासदी को न्योता दे रहे हैं। वह दिन दूर नहीं, जब हिमाचल में भी ऐसी कोई आपदा आएगी और राज्य को हिलाकर रख देगी। ऐसे में समय रहते ऐसे हादसों को रोकने के लिए सचेत रहने की जरूरत है। उत्तराखंड हादसे से हिमाचल को भी सबक लेने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि जो शुक्ला कमेटी ने अपनी 69 पन्नों की रिपोर्ट में जिक्र किया है, उस पर सरकार को ध्यान देना होगा, अन्यथा हिमाचल आने वाले समय में बड़े संकट में फस सकता है। रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) अभय शुक्ला ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सभी तरह के प्रोजेक्ट्स पर पूरी तरह रोक लगानी होगी।
विशेषकर रावी, चिनाव और सतलुज बेसिन पर कोई भी प्रोजेक्ट नहीं होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि रावी नदी पर तो किसी तरह का प्रोजेक्ट बिल्कुल नहीं होना चाहिए, क्योंकि नदी का दायरा ज्यादा बढ़ा नहीं है, ऐसे में यहां अगर कोई बांध बनाया जाता है और अगर वे टूट जाता है, तो पानी के इतने बहाव को नदी समा नहीं पाएगी, जो कि किनारों से बाहर निकलता हुआ तबाही करेगा। रिपोर्ट में यह कहा है कि सभी नए प्रोजेक्ट कुछ समय के लिए रोक देने चाहिए, जब तक पॉलिसी सही तरीके से लागू नहीं हो जाती, लेकिन आज तक यह पॉलिसी लागू ही नहीं की गई है। उनकी रिपोर्ट जुलाई, 2010 को आज तक लागू नहीं किया गया है। जिस तरह के आंकड़े रिपोर्ट में प्रस्तुत किए हैं, उसे लेकर हाई कोर्ट ने भी कोई एक्शन नहीं लिया,
जो समझ से परे हैं, जबकि सो मोटो एक्शन के तहत ही उनकी वन मेन कमेटी बनाई गई थी।
चिनाब में चार नदियों का संगम
रिपोर्ट में चिनाब बेसिन को सबसे ज्यादा संवेदनशील बताया गया है, क्योंकि इस नदी में चार नदियों का समावेश है। इससे इस पर हमेशा ही ज्चादा दबाव रहता है। ऐसे में अचंभित करने वाला विषय है कि चिनाब बेसिन पर 49 हाइड्रल पोजेक्ट सेंक्शन हैं, जिनकी क्षमता 4032 मेगावाट है, जबकि रोहतांग टनल के भी आने वाले समय में दुष्प्रभाव पडे़ंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि अटल टनल के बनने से लाहुल-स्पीति जिला के पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा, जो आने वाले समय में देखने को मिलेगा।
बांध कम कर रहे नदियों के संग्रहण की क्षमता
शुक्ला रिपोर्ट में साफ जिक्र किया गया है कि जो बांध हिमाचल की नदियों पर बन रहे हैं, वे हिमाचल में खतरा बढ़ाते जा रहे हैं, क्योंकि नदियों का बहाव मोड़ने के लिए जो पहाड़ों में ब्लास्टिंग की जाती है, उससे पहाड़ कमजोर हो रहे हैं, नदियों में मलबा डंप करने से नदियां सिकुड़ रही हैं। रोड निकलने से पहाड़ कट रहे हैं। भारी मशीनरियों की कंपन से पहाड़ों की नीवें कमजोर हो रही हैं।
प्रदेश में 3000 मेगावाट के प्रोजेक्ट तुरंत बंद किए जाएं
राज्य में 3000 मेगावाट के ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें तुरंत प्रभाव से बंद करने की जरूरत है। क्योंकि ये प्रोजेक्ट उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बनाए जाने हैं, जो कि स्नो लाइन, ग्लेशियर्स के नजदीक हैं। ऐसे में इनके यहां बनने से त्रासदी आना संभव है। राज्य में 24000 मेगावाट की क्षमता है। 20,900 मेगावाट अलॉट हो चुके हैं, जबकि 10519 मेगावाट के प्रोजेक्ट्स ने कार्य करना शुरू कर दिया है। एक दशक पहले ही हिमाचल में हाइड्रल प्रोजेक्ट्स को बंद करना जरूरी था।