चार दशकों बाद भी वही राग अलापना राजघराने की राजनीतिक विफलता का परिचय : कला शर्मा
(कुल्लू)ब्यूरो
जिला परिषद धाऊगी वार्ड में जुबानी जंग शुरू होने से भाजपा समर्थित प्रत्याशी कला शर्मा तल्ख हो चुकी है। मीडिया को जारी अपने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि विभा सिंह आज वही भाषा बोल रही है जो 1977 में तत्कालीन विधायक तथा उनके ससुर महेश्वर सिंह कहा करते थे। आज 43 बर्षों पश्चात् भी उनके घर के सदस्य द्वारा अपनी राजनीति चलाने तथा स्थानीय ईमानदार लोगों को अपनी बातों में उलझाने का एक तुच्छ कार्य कर रहे हैं।
कला शर्मा ने बताया कि यहाँ की जनता ने राजघराने के सभी सदस्यों को राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा से लेकर पंचायती निकाय चुनावों में भी समर्थन करके अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को करवाने के लिए चुना था किंतु आज हमारे क्षेत्र की समस्याएं उनके राज के चार दशकों बाद भी जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा कि आज यह सारी समस्याएं स्थानीय नेतृत्व के होते हुए ही दूर हो रही हैं और आज यहाँ की महिलाएं भी अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने में पूर्णतः सक्षम है।
राजघराने पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आज उनकी कथनी और करनी का अंतर साफ नज़र आ गया है और एक परिवार में ही विधायक, मंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद तक रहकर भी लोगों को ठगते ही आ रहे हैं किंतु अब यहाँ के लोग स्वार्थ की राजनीति करने वालों की मंशा भाँप चुके हैं और उन्हें मुँह तोड़ जबाव देने की तैयारी कर चुके हैं।
कला शर्मा ने बताया कि हम लोग राजनीतिक क्षेत्र को अपना रोजगार का जरिया बनाने वालों की भरपूर आलोचना करते हैं जो दशकों विकास के नाम पर स्थानीय लोगों को ठग रहे हैं। जिला परिषद चुनाव में लोगों के रुझान पर धाऊगी वार्ड से भाजपा समर्थित प्रत्याशी कला शर्मा ने बताया कि गाँव-गाँव जाकर लोगों से मिलने पर उन्हें उनकी वर्तमान परिपेक्ष से संबंधित रुझान की सही जानकारी मिलती रही है तथा सभी लोगों ने सत्ता से चिपके रहने वाले लोगों को खूब लताड़ लगाई है, जिसका नतीजा आने वाले चुनाव में अपने मताधिकार से लोग सामने लाने वाले हैं।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि राजनीति से लोगों को ठगने वाले लोग अब अपनी पुरानी राजनीति छोड़ दें क्योंकि स्थानीय जनता को यहाँ की मिट्टी तथा वातावरण में रहने वाले नेता ही समझ सकते हैं और उनकी एक-एक समस्याओं के समाधान बारे कार्य करने में बिल्कुल सक्षम हैं।
कला शर्मा ने विभा सिंह की टिप्पणी पर तल्ख होकर कहा कि उन्हें यहाँ की मूलभूत सुविधाओं का ज्ञान तक नहीं है कि स्थानीय लोगों का जीवन यापन किस परिवेश में होता है तथा उनकी भौगोलिक दृष्टि से कौन से कार्य प्राथमिकता में करना आवश्यक होता है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि महलों से बाहर निकल कर लोगों के बीच समय बिताएँ तो ज्ञान होगा कि स्थानीय लोगों की समस्याएं क्या है जबकि चार दिन में कोई राजनीतिक पारखी नहीं बन जाता है।