फोरेस्ट कवर एरिया बढ़ा फिर भी बंदिशें बरकरार,राहत की मांग कर रहा हिमाचल
सुप्रीम कोर्ट से हर शपथ पत्र में राहत की मांग कर रहा हिमाचल

स्वतंत्र हिमाचल
(कुल्लू)सुरेश भारद्वाज
हिमाचल प्रदेश में फोरेस्ट कवर एरिया बढ़ने के बावजूद विकास के कामों पर बंदिशे हैं। जंगल काटने पर हिमाचल ने सालों पहले प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि हरित पट्टी कायम रहे, मगर फिर भी विकास के कार्यों के लिए जमीन नहीं मिलती। जब तक सुप्रीम कोर्ट फैसला न सुना दे, यहां पर कोई प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ सकता, जबकि दूसरे राज्यों के साथ ऐसा नहीं है। एक तरफ हिमाचल अपने फोरेस्ट कवर एरिया को बचा रहा है, उसे बढ़ा रहा है, मगर दूसरी तरफ बंदिशें भी उसी पर लगी हैं।
यहां हरेक प्रोजेक्ट के लिए नियमों के अनुसार दोगुना जमीन देनी पड़ती है, जहां पर पेड़ उगाए जाते हैं। इसी वजह से प्रदेश में फोरेस्ट कवर एरिया बढ़ा है। वर्ष 2019 की फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की डिपोर्ट में साफ है कि हिमाचल में वन क्षेत्र 15434 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच चुका है। इसमें पिछले तीन-चार साल में 334 वर्ग किलोमीटर तक का एरिया बढ़ा है। वर्ष 2017 की रिपोर्ट में वन क्षेत्र 15100 वर्ग किलोमीटर एरिया में था। एक प्रोजेक्ट के बदले दोगुना जमीन देने से ऐसा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार हिमाचल प्रदेश से सुप्रीम कोर्ट को जो भी प्रोजेक्ट भेजा जाता है, उसके हरेक शपथ पत्र में सरकार बंदिश हटाए जाने की मांग करती है। वन विभाग की ओर से दिए जाने वाले शपथ पत्रों में लिखा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट हिमाचल पर लगी बंदिश को हटाए, लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हो रही है।
हिमाचल प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55673 वर्ग किलोमीटर का है, जिसमें 15434 वर्ग किलोमीटर फोरेस्ट एरिया है। वैरी डेंस फोरेस्ट की बात करें तो 3112.71 वर्ग किलोमीटर है, जबकि मध्यम डेंस फोरेस्ट कवर एरिया 7125.93 वर्ग किलोमीटर है। वहीं ओपन फोरेस्ट की बात करें, तो प्रदेश में 5194.88 वर्ग किलोमीटर यह वनक्षेत्र है। कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 27.72 फीसदी एरिया फोरेस्ट एरिया है, वहीं जो भी सरकारी जमीन है, वह फोरेस्ट लैंड की परिभाषा में शामिल है। ऐसे में विकास को गति कैसे मिलेगी। हिमाचल की मांग सुप्रीम कोर्ट नहीं मान रहा है, जबकि लगातार इसकी मांग की जा रही है। भविष्य में दोबारा से प्रदेश सरकार इस मामले को उठाएगी, यह तय है।
लगभग दो साल बाद मंजूरी, बढ़ेगी लागत : हिमाचल के विकास कार्यों को लगभग दो साल के बाद सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिली है। लंबित प्रोजेक्ट इतना अरसा देरी से बनेंगे, जिनके लिए अब बजट भी बढ़ेगा। पहले से कई गुणा ज्यादा पैसा सरकार को खर्च करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2020 तक के प्रोजेक्टों को अपनी मंजूरी दी है, जिनमें कुल 603 प्रोजेक्ट शामिल हैं। (एचडीएम)