चहक उठे किसान-बागबान, फसलों के लिए अमृत बनकर आई बारिश-बर्फबारी
स्वतंत्र हिमाचल ( कुल्लू)सुरेश भारद्वाज
पिछले करीब एक माह से बारिश के लिए तरस रहे प्रदेश के किसानों-बागबानों को बड़ी राहत मिली है। बारिश-बर्फबारी न होने से सबसे ज्यादा निराश ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बागबान थे। प्रदेश भर में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गरुवार दिन भर बर्फबारी होती रही। ऐसा माना जा रहा है कि बागबानी के लिए यह संजीवनी साबित होगी। अब तक इस वर्ष बर्फबारी का दौर न तो लंबा खिंच पाया था और न ही जरूरतें पूरी कर पा रहा था।
ताजा हिमपात ने किसानों-बागबानों के चेहरों की रौनक बढ़ाई ह,ै तो पारा शून्य से नीचे जाने के कारण परेशानी भी खूब हो रही है। खराब मौसम को देखते हुए एचआरटीसी महकमा फिर हरकत में आ गया है। हाल ही में बर्फ के कारण फंसी बसों के कारण परेशानी झेलने वाले निगम ने अब सुरक्षित स्थानों तक ही बसों को ले जाने के निर्देश दिए हैं। कुल्लू जिला के कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा के प्रभारी डा. केसी शर्मा के अनुसार फसलों में बर्फबारी से नई जान आई है, तो फसलों को भी संजीवनी मिलेगी।
सेब के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होने की आस
शिमला— प्रदेश में मौसम के बदले मिजाज के बाद चिलिंग आवर्स पूरे होने की उम्मीद जगी है। सेब के पौधों के लिए 1200-1400 घंटे के चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है। सेब सहित अन्य फलदार पौधे चिलिंग आवर्स के लिए न्यूनतम तापमान सात डिग्री से नीचे रहने की आवश्यकता रहती है। ताजा हिमपात के बाद अब चिलिंग आवर्स के पूरे होने उम्मीदें जगी