बिजली बोर्ड ऊना के प्रांगन में बिजली कानून संशोधन का किया शांतिपूर्ण विरोध
(ऊना)ललित ठाकुर
बिजली अभियंताओ एवं कर्मचारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति द्वारा बुधवार को राष्ट्रीय हड़ताल के संदर्भ में हिमाचल प्रदेश राज्य विधुत बोर्ड कर्मचारी एवं पेशनरों ने जिला सचिव पेशनर यूनियन और हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एम्प्लोएस यूनियन उप प्रधान गुलशन की अध्यक्षता में बिजली बोर्ड ऊना के प्रांगन में एकत्रित बिजली कानून संशोधन का शांतिपूर्ण विरोध किया और इसे विधुत उपभोक्ता विरोधी बताया ।
उन्होंने बताया कि बिजली कानून संशोधन के तहत केद्र सरकार एक आदेश के माद्यम से कानून बनाने की तैयरी में है जबकि संशोधन के बारे में पहले ही अधिकतर राज्य सरकारी केद्र सरकार को अपनी असहमति भेज चुकी है और पूरे देश में बिजली कर्मचारी इसके खिलाफ आदोलनरत और इसके लागू होने से पेशनर भोगी कर्मचारी की पेशन पर भी तलवार लटक सकती है ।
बोर्ड कर्मचारियों का कहना है कि इसके पारित हो जाने से बिजली वितरण में कार्य कर रही कंपनियों को दो या इससे अधिक कम्नियों में बांटना अनिवार्य होगा तथा बिजली वितरण के मुनाफे वाले क्षत्रों को निजी हाथों में देने का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा ।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि बिजली कानून 2020 को उर्जा क्षेत्र की भागीदारी के उदेश्य से लाया गया था, लेकिन इसके परिणाम सभी राज्यों में पूर्ण रूप से नकरात्मक रहे और सरकार को भी इसका एहसास हो चुका है । लेकिन केंद्र सरकार इसकी समीक्षा करने के बजाए सरकारी बिजली वितरण कंपनियों को और तहस नहस करने तथा इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों को को बढ़ाबा देने के लिए एक न्य कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है । इस कानून के पारित हो जाने से सबसे अधिक खामियाजा हिमाचल जैसे भौगोलिक परिस्तितियों वाले राज्यों की जनता को भुगतना पड़ेगा । हि.प्र. राज्य बिजली बोर्ड के पुनर्गठन के समय अत्पादन, अंचार एवं वितरण के कार्यों को एक कम्पनी के पास ही रखा गया था और जिसका लाभ प्रदेश की जनता को सुचारू विधुत एवं सस्ती विधुत बोर्ड के रूप में मिल रहा है ।
लेकिन नए कानून के प्रभाव में आने से बिजली बोर्ड विघटित होकर सभी कार्य तो अलग अलग होंगे ही, अपितु वितरण का कार्य भी छोटी छोटी कंपनियों में बाँट जायेगा और औधोगिक व अन्य राजस्व वाले क्षेत्र निजी हाथों में चले जायेंगे।
इसके अतिरिक्त यह कि भौगोलिक परिस्तितियों को देखते हुए प्रदेश के दूर दराज क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की लागत में अन्य बिनिवस्त भारी अंतर है। जिसे अभी ख़ास सब्सिडी से बराबर लाया जा रहा है इस संशोधित विधयक के पारित हो जाने से सब्सिडी खत्म हो जाएगी, जिससे बिजली दरें आपूर्ति की लागत के हिसाब से तय और प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विधुत दरों में कई गुना बढ़ोतरी होगी। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एम्प्लोएस यूनियन इन संशोधनो का पुरजोर विरोध करती है ।