
40 साल से नौतोड़ भूमि पर अपना मकान बनाकर कर रहे है रहन बसेरा
पानी व बिजली के कनेक्शन लगाने में आ रही है समस्या
(नेरचौक) अमन शर्मा
प्रदेश सरकार भूमिहीनों और गरीबों के उत्थान के लिए कितनी भी योजनाएं बना दे लेकिन हकीकत में यह योजनाएं धरातल पर सफेद हाथी बनकर रह जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने गरीब असहाय व भूमिहीन परिवारों को 1972 -80 तक सेकड़ो परिवारों को 5-5 विघा नौतोड़ भूमि स्वीकृत की थी। सरकार ने जब यह भूमि स्वीकृत की तो लाभार्थियों को भूमि का कब्जा और जमीन के दस्तावेज (पट्टा) दिए गए। जिन लोगों को सरकार व प्रशासन द्वारा नौतोड़ भूमि प्रदान की है। वह गरीब लोग 40 साल से निरंतर अपनी उस जमीन की कास्तकारी कर रहे है।उन गरीब परिवारों के पास आज भी वह पट्टा मौजूद है।
जो सरकार व प्रशासन द्वारा उन्हें जमीन के कब्जा के दौरान सौपें थे। उन गरीब परिवारों ने उस जमीन पर मकान बनाकर अपना रहन बसेरा कर रहे है। लेकिन बिडंबना की बात है कि सरकार ने उन गरीबो को नौतोड़ भूमि तो आवंटित कर दी लेकिन इंतकाल करवाना पूरी तरह से भूल गई। बता दे कि इस आवंटित नौतोड़ भूमि के मामले को लेकर हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति जन जाती विशाल सुधार समिति की बैठक में जिला अध्यक्ष सिधु राम भारद्वाज के समक्ष रखा था। सिधु राम भारद्वाज ने इस मामले की खोजबीन करके मामले की तह तक जाने की पूरी कोशिश की। जिसका जीता जागता उदाहण तहसील कार्यालय चच्योट में है। एसडीएम चच्योट व तहसीलदार के पूर्णतया सहयोग से 40 साल पहले आवंटित की गई नौतोड़ भूमि के दस्तावेज़ों की फाइलों को ढूढ़ निकाला था। बाबजूद इसके अभी तक भी इंतकाल न होना बहुत ही चिंताजनक विषय बना हुआ है।
जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अधिकांश लोगों ने इस आवंटित भूमि पर अपने मकान बनाए है। जिन्हें आज पानी व बिजली के कनेक्शन नही मिल पा रहे है। जिन लोगों को पानी व बिजली के कनेक्शन लगे थे उन्हें भी विभाग द्वारा काट दिया गया है। जिसका चैलचौक के कड़ाव मुहाल में जीता जागता उदाहरण है।
सिधु राम भारद्वाज ने
कहा कि जिला के कई क्षेत्रों में ऐसे मामले हैं। जहां रसूखदार लोग जमीनों पर कब्जा जमाए हुए हैं। जबकि कमजोर और गरीब लोग लंबे अरसे से संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विशाल सुधा समिति की तरफ से ऐसे कई मामले प्रशासन के ध्यान में लाए जा चुके हैं ।लेकिन बावजूद इसके जमीनें गरीबों के नाम नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में गरीब लोगों को अपने भरण-पोषण के साथ निर्माण संबंधी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जमीने नाम पर ना होने के कारण अपनी आधारभूत जरूरतों में बिजली पानी के कनेक्शन के लिए जूझना पड़ रहा है। कहा कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकारों और प्रशासन के लिए सवालिया निशान है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि ऐसे लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।ताकि समाज के कमजोर तबके के नाम पर जमीने हो सके।
तेज सिंह सपुत्र चरणू का कहना है उनके पिता जी को 40 साल पहले 5 बीघा के करीब जमीन मिली थी। जिस पर मकान बना रखा है लेकिन 6 साल पहले बिजली का कनेक्शन काट दिया था जो आजदिन तक नही लग पाया है।तेज सिंह,पुनु, जगत राम,कश्मीर सिंह,लच्छि राम ने सरकार से मांग की है कि हमारी इस जमीन के इंतकाल किए जाए।
सरकार द्वारा इस विषय सम्बंधी रिपोर्ट मांगी गई थी। जो प्रशासन द्वारा सरकार को भेज दी गई है।अनिल भारद्वाज एसडीएम गोहर।