Saturday, July 27, 2024
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अजब-गजब किसी भूतिया फिल्म की स्टोरी से कम नहीं है प्लॉट नंबर 108 बी की कहानी

जिस ने भी इस प्लॉट में काम करने की कोशिश की वह हो गया बर्बाद
– आज भी लटका है डीआईसी के ईपीआईपी झाड़माजरी के प्लाट 108 बी पर ताला
बद्दी। (राकेश ठाकुर)

 

वर्ष 2002 में प्रदेश को मिले औद्योगिक पैकेज के बाद अस्तित्व में आये प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में ऐसे कई औद्योगिक प्लॉट हैं जो उजड़ गए ओर फिर बसे। यहां ऐसे भी उद्योग हैं चले और बंद हुए ओर फिर दोवारा जहां आज कामकाज चल रहा है। लेकिन इन सबके बीच यहां एक ऐसा भी इंडस्ट्री प्लॉट है जो जिस ने खरीदा वह आबाद नहीं हो पाया। जिस ने इस प्लाट में उद्योग चलाने की कोशिश की वह बर्बादी के रास्ते पर हो लिया। औद्योगिक क्षेत्र डीआईसी के तहत प्लॉट नंबर-108बी, ईपीआईपी, झाड़माजरी, तहसील बद्दी, जिला सोलन इस 500 मीटर के इंडस्ट्रीयल प्लॉट पर आज भी ताला लटका है।


शिमला के एक व्यक्ति ने यहां डीआईसी के इस प्लॉट में हेमा इंडस्ट्री के नाम से उद्योग शुरू किया। लेकिन काम चल नहीं पाया और हेमा इंडस्ट्री बैंक और संबंधित विभागों की देनदारियों के नीचे दबती गई। जिसके बाद हेमा इंडस्ट्री के मालिक ने इसे ओशियानो ग्राफिक्स को बेच दिया। ओशियानो ग्राफिक्स एक बड़ी फर्म थी जो पंजाब, हरियाणा और हिमाचल सरकार के बड़े बड़े प्रोजेक्ट करती थी। ओशियानो ग्राफिक्स ने ईपीआईपी प्लॉट नंबर 108 बी झाड़माजरी इस मकसद से खरीदा के काम को बढ़ाया जा सके। लेकिन प्लॉट खरीदने के बाद ओशियानो ग्राफिक्स बर्बादी की राह पर चल पड़ी और यहां शुरू किया गया काम भी बंद हो गया। सूत्रों से पता चला है कि इस प्लॉट नंबर 108बी में किसी पीर का साया है। हेमा इंडस्ट्री के मालिक प्लॉट के पीछे दिया भी जलाते थे। रात को यहां कोई रूक नहीं सकता, लेबर को भी यहां अजीब चीजें नजर आती थी। शायद यहां इंडस्ट्रीयल प्लॉट बनने से पहले किसी पीर को कोई स्थान रहा होगा।
ओशियानो ग्राफिक्स के मालिक प्रवीण बहल ने बातचीत के दौरान बताया कि यह प्लॉट खरीदने के बाद वह सडक़ पर आ गए सारा कामकाज ठप्प हो गया। अभी भी वह कर्जे के बोझ तले दबे हैं, जिसे चुकाने को कोई रास्ता नजर नहीं आता। पहले तो प्रवीण बहल इस बाबत कुछ बोलते नहीं थे लेकिन मीडिया से बातचीत के दौरान उनका दर्द छलक आया। प्रवीण बहल ने बताया कि यह प्लॉट खरीदने से पहले ओशियानो ग्राफिक्स सरकार के बड़े बड़े प्रोजेक्ट करती थी ओर काम बढ़ाने के लिए ही उन्होंने यह प्लॉट खरीदा था। ताकि बद्दी में उद्योगों के साथ भी कामकाज किया जा सके। लेकिन झाड़माजरी स्थित डीआईसी को प्लॉट नंबर 108 बी खरीदने के बाद ओशियाओ ग्राफिक्स का काम ओर नाम दोनों ही मिट्टी में मिल गए। प्रवीण बहल ने बताया कि हेमा इंडस्ट्री का भी वहीं हाल हुआ जो हाल आज इनका है। प्रवीण बहल ने बताया कि हेमा इंडस्ट्री ने अंधेरे में रखकर अपनी मुसीबत उनके गले डालकर उन्हें भी बर्बादी की ओर धकेल दिया। उन्होंने कहा कि आगे जो भी इस प्लॉट को खरीदेगा उसका क्या हाल होगा पता नहीं पर यह प्लॉट खरीदना उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गल्ती थी।
आज भी झाड़माजरी के इस प्लॉट पर ताला लटका है और यहां की बिल्डिंग खंडहर में तबदील हो रही है। जिस ने भी इस प्लॉट को खरीदकर आगे बढऩे की सोची वह आगे बढऩे की बजाए बर्बादी की राह पर हो लिया। न जाने इस इंडस्ट्रीयल प्लॉट में क्या है क्या नहीं लेकिन इस जगह की कहानी बॉलीबुड की किसी भूतिया फिल्म से कम नहीं।

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