बेसहारा नरेश को दिया नई दिशा ने नया जीवन

(बद्दी)राकेश ठाकुर
- बरोटीवाला बस स्टैंड पर खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर था 60 वर्षीय वृद्ध
- हादसे के बाद आखों की रोशनी कम होने के कारण मालिक ने भी निकाला नौकरी से
- 4 साल से बेटों व परिवार ने भी नहीं ली पिता की सुध
नई दिशा ड्रग काऊंसलिंग एंड रिहैबीटेशन सोसाईटी कुल्हाड़ीवाला ने पिछले 1 महीने से बरोटीवाला बस स्टैंड पर खुले आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर एक 60 वर्षीय वृद्ध को नया जीवन दिया है। नरेश कुमार पुत्र जगन नाथ निवासी आंनदपुर साहिब पिछले 20 वर्षों से बीबीएन में बतौर ट्रक चालक कार्यरत था। एक सडक़ हादसे के बाद 60 वर्षीय नरेश की आंखों की रोशनी कम होने के बाद ट्रक मालिक ने भी उसे नौकरी से निकाल दिया।
हादसे में नरेश का मोबाईल, उसके पहचान पत्र और पैसे भी गुम हो गए, जिसके बाद नरेश का परिवार से संपर्क कट गया और परिवार ने भी पिछले 4 सालों से नरेश कुमार की सुध नहीं ली। पिछले एक महीने से कड़ाके की ठंड के बीच बेसहारा नरेश बरोटीवाला बस स्टैंड पर खुले आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर था। न सिर पर छत थी और न ही रोटी का कोई साधन, किसी ने दे दिया कुछ खाने तो ठीक है नहीं तो भूखा ही रहना पड़ता था।

नई दिशा ड्रग काऊंसलिंग एंड रिहैबीटेशन सोसाईटी कुल्हाड़ीवाला, तहसील बद्दी, जिला सोलन के संचालकों की नजर नरेश पर पड़ी। उन्होंने बरोटीवाला बस स्टैंड पर दुकानदारों और स्थानीय पंचायत प्रधान से बातचीत करके बेसहारा नरेश को नया जीवन देने का फैसला लिया। नई दिशा ड्रग काऊंसलिंग एंड रिहैबीटेशन सोसाईटी के संचालक संजीव गर्ग अपनी टीम अरूण गोयल, कुलबंत सिंह और नरेश कुमार के साथ गए और नरेश कुमार को कुल्हाड़ीवाला स्थित अपने सैंटर में ले आए।
संजीव गर्ग ने बताया कि 60 वर्षीय नरेश कुमार कई दिनों से नहाया नहीं था जिसके चलते उसे सिर में अलर्जी हो गई थी। सैंटर में नरेश कुमार दशा को सुधारा गया और उसका ईलाज शुरू करवाया गया। संजीव गर्ग ने बताया कि नई दिशा ड्रग काऊंसलिंग एंड रिहैबीटेशन सोसाईटी पिछले 4 वर्षों से नशे से ग्रस्त युवाओं को नया जीवन देने का प्रयास कर रही है और सैंकड़ों युवाओं को नशे की गर्त से बाहर निकाला गया है।
- सरकार अगर मदद करे तो हर बेसहारा को मिल सकती है छत : संजीव गर्ग
नई दिशा ड्रग काऊंसलिंग एंड रिहैबीटेशन सोसाईटी के संचालक संजीव गर्ग का कहना है कि अगर सरकार उनकी कुछ करती है तो वह बीबीएन के बेसहारा लोगों जिनका न रहने ठिकाना है और न कोई खाने का साधन उनको नया जीवन देने के लिए पहल कर सकती है। संजीव गर्ग ने बताया कि 60 वर्षीय नरेश कुमार आंनदपुर साहिब का रहने वाला है जिसके परिवार को ढूंढने का भी प्रयास किया जा रहा है। जब तक नरेश के परिवार को कुछ पता नहीं चलता तब तक उसे सैंटर में रखा जाएगा। सजीव गर्ग ने बताया कि नरेश की मानसिक स्थिति में भी काफी सुधार आ रहा है और उसका चर्म रोग भी ठीक हो रहा है। अगर सरकार उनकी सोसाईटी की मदद करती है तो वह ऐसे बेसहारा लोगों को नया जीवन देने की शुरूआत कर सकते हैं।