काशापाट व दरकाली के लोगों के लिए 5G नेटवर्क सुंदर सपना
सिंगल G भी नहीं, पढ़ाई तो दूर, चोटियों पर ढूंढते है सिग्नल

स्वतंत्र हिमाचल
(रामपुर) अमन भारती
दुनिया मे जहां 5जी टेक्नोलॉजी से बच्चों की पढ़ाई से लेकर युवाओं के तमाम काम इंटनेट के तीव्र गति से हो रहे हैं। वहीं ज़िला शिमला के दरकाली और काशा पाट के लोग मोबाइल में सिग्नल ढूंढते फिर रहे है। हजारों की आबादी के इस बड़े क्षेत्र में बिरले ही चुनिंदा स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क ढूंढ ढूंढ के मिल पाता है। अन्यथा इस इलाके में पहुंचते ही व्यक्ति शेष दुनिया से बिल्कुल कट जाता है। राज्य और केंद्र सरकार और बड़ी -बड़ी मोबाइल कंपनियां भले ही मोबाइल नेटवर्क और तकनीक के बड़े-बड़े दावे कर रहे हो लेकिन इन इलाकों में ये सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इमरजेंसी हो या सामान्य परिस्थिति या फिर हर घर पाठशाला के जरिये स्कूली छात्रों की पढ़ाई मोबाइल में नेटवर्क नहीं तो कुछ भी नहीं।
जन प्रतिनिधियों ने कई बार मोबाइल नेटवर्क की समस्या के इस मामले को सरकार तक पहुंचाया लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। ज़िला परिषद प्रत्याशी सन्तोष कुमार गोस्वामी प्रचार के लिए जब टीम के साथ इस इलाके में गए तो वह ये देख कर दंग रह गए कि आखिर इस समूचे इलाके को बिना नेटवर्क अलग थलग क्यों छोड़ा गया है। जबकि पूरे कोविड काल मे बच्चों की पढ़ाई नेटवर्क के बिना अधूरी रह गई। आखिर इसकी भरपाई कैसे होगी।
जब उन्होंने लोगों से बातचीत की तो उन्हें बताया कि बेहद जरूरी होने पर लोग पहाड़ियों की चोटी पर जाकर सिग्नल तलाशते है तब कहीं जाकर बमुश्किल अपना संदेश दूसरों तक पहुंचा सकते है। खास कर काशा गांव के लोग पाट और दरकाली के बड़े हिस्से में तो बिल्कुल भी सिग्नल नहीं है। उन्होंने सरकार और मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कम्पनियों से आग्रह किया है कि शहरों में ही ज्यादा फोकस न दें बल्कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में वही मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध करवाया जाए। ताकि ग्रामीण व स्कूली छात्र तकनीक के जरिये दुनिया की तमाम गतिविधियों से जुड़ सके।