निजी स्कूल फीस ले सकते है तो स्कूल में कार्यरत अध्यापक को आधा वेतन क्यों:जितेंद्र ठाकुर

स्वतंत्र हिमाचल (सरकाघाट) रंजना ठाकुर
धर्मपुर युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व प्रदेश सचिव सेवा दल ने सरकार से पूछा अगर निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान फीस वसूली तो निजी स्कूल में कार्यरत अध्यापक व अन्य स्टॉप को आधा वेतन या नौकरी से हाथ धोना पड़ा उनका जिम्मेदार कौन
सरकार दिन-प्रतिदिन इस फीस के मामले में अपना स्टैंड बदल रही है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान पूरे विश्व में लोक डॉन लगा था तो शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक काफी चिंतित थे लेकिन इस महामारी को देखकर अभिभावक बच्चों को महामारी से बचने के लिए काफी चिंतित दिखे रहे हैं

लॉकडाउन के दौरान काफी लोगों की प्राइवेट नौकरी तथा अन्य व्यवसाय एक किसम की तहस-नहस हो गए शिक्षा में सरकार ने ऑनलाइन कक्षाओं का खाका तैयार किया गया उस क्षेत्र में एक निजी स्कूलों के प्रबंधकों के लिए इस वसूली का माध्यम बना बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षा से कितना फायदा हुआ यह आप सब भली भांति जानते हैं कितना इसका दुष्प्रभाव होगा आने वाले समय में देखा जाएगा लेकिन निजी स्कूलों ने अपने स्कूल के अध्यापक तथा गैर अध्यापक स्टॉप के साथ लॉकडाउन के दौरान उनको वेतन नहीं दिया गया दिया तो ना के बराबर दिया बहुत सारे अध्यापकों के अध्यापकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा अगर सरकार चाहती है कि निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान फीस वसूली कर सकते हैं तो सरकार सुनिश्चित करें कि निजी स्कूल से निकाले गए अध्यापक और गैरअध्यापक स्टाफ को दोबारा रखा जाए तथा लॉकडाउन के दौरान अगर किसी का आधा वेतन दिया गया है तो उसको पूरी अदायगी की पिछली दी जाए क्योंकि उन गरीबों के भी बच्चे हैं तथा परिवार का पालन पोषण भी करना दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने भी अपना फैसला दिया है कि अगर कोई अभिभावक आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो उसके बच्चों की फीस को माफ किया जाए नीलम डॉन के दौरान काफी अभिभावकों की नौकरियां गई है तो हाईकोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाई थी कि गरीब बच्चों की फीस माफ की जाए तो सरकार जल्द से जल्द इस पर विचार करें और उन अध्यापकों को पूरा वेतन और नौकरी दी जाए